Skip to main content

Loksangharsha: यहि देस कै भैया का होई

आओ हम सब मिलिकै रोई यहि देस कै भैया का होई॥

खादी खाकी मौसेरे भाई,काटे मनइन कै गटई
आपन-आपन धरम छोडि ,उई करत है दुनो चोरकटई
यहि देस कै भैया का होई आओ हम....

तुम
देखो जाई कचेहरी मा,सब रोवा-रोवा नोच लेई।
अर्दली ,वकील और पेशकार ,मिली खून चूस जस जोंक लेई
यहि देस कै भइया का होई आओ हम....

राम अंधेरे जन-प्रिय नेता ,काटि चुके दस साल जेल है।
और लड़े इलेक्शन जेलै से,मुल अब तो उई मंत्री जेल है
यहि देस कै भइया का होईआओ हम....

बासी रोटी टूका-टूका ,घिसुआ कै लरिके बाँटी रहे
जनता के सेवक नेताजी ,मुर्गा बिरयानी काटि रहे
यहि देस कै भइया का होईआओ हम....

नेता जी के घर भरी पड़ी , काजू बादामन की बोरी
मुल मूंगफली का तरस रहे,मजदूरन कै छोरा -छोरी
यहि देस कै भइया का होई आओ हम....

मोहम्मद जमील शास्त्री
प्रवक्ता (हिन्दी)

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा