कितनेव केवट बदलिगे ,नाव ठांव की ठांव ॥
नाव ठांव की ठांव ,तकै जनता मन मारे।
खेवन हार हारिगे हिम्मत,नाव न लागि किनारे ।
कह बृज़ेश बर्राय ,सकल दल साहस टूटा-
शान्ति अस्त्र चलि रहे, दनादन तनिक न हाला खूंटा ॥
(शान्ति अस्त्र का तात्पर्य धरना , प्रदर्शन , भूख हड़ताल )
बृज़ेश भट्ट 'बृज़ेश '
Comments
Post a Comment
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर