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Loksangharsha: खूंटा पूँजीवाद


खूंटा पूँजीवाद के ,बंधी स्वराजी नाव
कितनेव केवट बदलिगे ,नाव ठांव की ठांव
नाव ठांव की ठांव ,तकै जनता मन मारे
खेवन हार हारिगे हिम्मत,नाव लागि किनारे
कह बृज़ेश बर्राय ,सकल दल साहस टूटा-
शान्ति अस्त्र चलि रहे, दनादन तनिक हाला खूंटा

(शान्ति अस्त्र का तात्पर्य धरना , प्रदर्शन , भूख हड़ताल )


बृज़ेश भट्ट 'बृज़ेश '

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा