गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा
सलीम जी शुक्रिया
ReplyDeleteआपका सबका साथ मिलता रहा तो हम नंबर एक भी बन जायेंगे....
सलीम जी शुक्रिया
ReplyDeleteआपका सबका साथ मिलता रहा तो हम नंबर एक भी बन जायेंगे....
saleem ji kya baat hai
ReplyDeleteALEEM BHAI AIMBA.BLOGSPOT.COM PAR AAO
ReplyDeleteSORRY
ReplyDeleteALLINDIAMBA.BLOSPOT.COM PE