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लिखने के साथ साथ पढ़ें भी.....

आज बहुत दिनों बाद हिंदुस्तान का दर्द पर आया हूँ..!बहुत खुशी होती .इसकी विकास यात्रा देख कर...!बहुत ही अच्छे लोग जुड़ रहें है इससे..!संजय जी जितनी रूचि ले कर इसे सहेज रहे है वह बहुत बड़ी बात है...!लेकिन एक बात जो मुझे खल रही है वो ये की ..लिखने की बजाय लोग पढने में कम रूचि ले रहे है...!इसका अंदाजा पोस्ट के नीचे टिप्पणिया देख कर हो जाता है..!मेरा आप सब लोगों से विनम्र निवेदन है की कृपया कुछ समय पोस्ट को पढने में तथा ने में भी लगायें ताकि नए लोगों को प्रोत्साहन मिल सके...तभी हमारा ब्लॉग नित नई ..मंजिले......छुएगा....!

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा