जनता तो सदैव ही मजबूर है सिर्फ़ वोट देने के लिए , आगे मंत्री, पद,कार्य समिति, शासन आदि में तो न पहले कोई उसे पूछता था न अब लोकतंत्र में वोट के बाद तो खरीद फरोख्त पर भी कोई ध्यान नही देता वही ""कोऊ नृप होय हमें का हानीं । "" वही चहरे घूम घूम कर -जो मुद्दतों से कोई गुणात्मक कार्य नही कर पाये -आजाते हैं
जो करेंगे वही मानने, कराने, भुगतने को तैयार रहें। सदा की तरह । यथा स्थिति वाले लोग आगये।
जो करेंगे वही मानने, कराने, भुगतने को तैयार रहें। सदा की तरह । यथा स्थिति वाले लोग आगये।
बिलकुल सही कहा लेकिन समय जरुर बदलेगा
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