Skip to main content

नई सरकार गठन --मजबूर जन-जन

जनता तो सदैव ही मजबूर है सिर्फ़ वोट देने के लिए , आगे मंत्री, पद,कार्य समिति, शासन आदि में तो न पहले कोई उसे पूछता था न अब लोकतंत्र में वोट के बाद तो खरीद फरोख्त पर भी कोई ध्यान नही देता वही ""कोऊ नृप होय हमें का हानीं । "" वही चहरे घूम घूम कर -जो मुद्दतों से कोई गुणात्मक कार्य नही कर पाये -आजाते हैं
जो करेंगे वही मानने, कराने, भुगतने को तैयार रहें। सदा की तरह । यथा स्थिति वाले लोग आगये।

Comments

  1. बिलकुल सही कहा लेकिन समय जरुर बदलेगा

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा