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ग़ज़ल

उदास क्यों हो उदास क्यों हो
तुम इस कदर बाद हवास क्यों हो
उदास होने से फ़ायदा क्या
बताओ रोने से फ़ायदा क्या
जो हो चुका उसपे ख़ाक डालो
नए रास्ते तुम निकालो
उड़ान टूटे परों में भर लो
हवा के लश्कर को तुम फतह कर लो
उदास क्यों हो उदास क्यों हो
तुम इस कदर बदहवास क्यों हो .

Comments

  1. महोदय आपकी कविता के भाव सुन्दर है मगर आपने जैसा की पोस्ट का नाम लिखा है ये गजल नहीं है क्योकि न काफिया है न रदीफ़

    गजल व बहर के विषय में कोई भी जानकारी चाहिए हो तो सुबीर जी के ब्लॉग पर जाइये
    इसे पाने के लिए आप इस पते पर क्लिक कर सकते हैं।
    आप यहाँ जा कर पुरानी पोस्ट पढिये

    वीनस केसरी

    ReplyDelete
  2. BAHUT SUNDAR RACHNA..JISE PADH KAR MAZA AAYA...

    ReplyDelete
  3. shukriya rajneesh ji aur venus ji koshish karenge jo bhi kamiyan usko door karein

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा