गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा
इस मुद्दे पर हिन्दुस्तान का दर्द पहले ही अपने विचार रख चुका है
ReplyDeleteलेकिन मुद्दा हमारी भावनाओं से जुडा! है
इस मुद्दे पर हिन्दुस्तान का दर्द पहले ही अपने विचार रख चुका है
ReplyDeleteलेकिन मुद्दा हमारी भावनाओं से जुडा! है
dharam,majhab,kaum,desh,pardesh pe jajbati ho jane wale tucthe lok........
ReplyDeletebahut kamjor bhaavnaye hai jo jhande ko jameen par dekhte hi kaampne lag jati hai.....
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