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बिल्ली की छींक से छीका टूटा

अयं निज : परोवेति गणना लघु चेतसाम्
उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम

-हितोपदेश/पंचतंत्र


यह अपना है,यह पराया-ऐसा विचार छोटे ह्रदय वाले लोग करते है
उदार चरित्र वाले मनुष्यों के लिए समस्त संसार ही एक परिवार है


---------------------संस्कृत लोकोक्ति कोश
संपादक-डॉक्टर शशि तिवारी
संस्करण -१९९६
प्रकाशन विभाग -सूचना और प्रसारण मंत्रालय
भारत सरकार

यह श्लोक पंचतंत्र और हितोपदेश से है की मनुस्मृति से


-सुमन
-loksangharsha

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा