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ग़ज़ल

उदास क्यों हो उदास क्यों हो
तुम इस कदर बाद हवास क्यों हो
उदास होने से फ़ायदा क्या
बताओ रोने से फ़ायदा क्या
जो हो चुका उसपे ख़ाक डालो
नए रास्ते तुम निकालो
उड़ान टूटे परों में भर लो
हवा के लश्कर को तुम फतह कर लो
उदास क्यों हो उदास क्यों हो
तुम इस कदर बदहवास क्यों हो .

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा