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बेवफा

ज़िन्दगी से बहुत दूर हु मै
ज़िंदा हु क्योकि मजबूर हु मै
मोहब्बत करने की खता हो गई मुझसे
वरना तो शायद बेक़सूर हु मै
उसकी याद आती है वो क्यों नही आती
अपने गम अपने तनहाई में चूर हु मैं
हालात के सितम में ये वरना आज भी
उसी की आँखों का सुरूर हु मै
न की इश्क में कमी कभी लेकिन
वोह कहती है अगर तो बेवफा ज़रूर हु मैं

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