Skip to main content

आप आए --ग़ज़ल

आप आए दिल के आशियाने में
क्या कहें क्या ना हुआ ज़माने में

बात जो थी बस लवों तक आपके
होगई है बयाँ हर फ़साने में ।

हम चलें उस आसमान के छोर तक,
छोड़ना पङता है कुछ ,कुछ पाने में।

प्रीति का यह चलन कब भाया किसे,
कब कसर छोडेंगे ,ज़ुल्म ढाने में ।

इश्क फूलों का चमन ही तो नहीं,
राह काँटों की है हर ज़माने में।

ज़िंदगी हो गुले-गुलशन कब मज़ा,
जो मज़ा काँटों में गुनगुनाने में।

बात अपनी बने या ना बने श्याम,
ना कसर रह जाय आज़माने में॥

Comments

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा