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प्यार की तोड़नी जंजीर बहुत मुश्किल है...


हर ख्वाब की ताबीर बहुत मुश्किल है
तामीर - -गजल मीर बहुत मुश्किल है
रूखे- रौशन की वो रौनक बस सल्ले अला -
काम आए कोई तदवीर बहुत मुश्किल है
ख़त जलाकर मेरी यादों को मिटाने वाले -
बने दिल में भी तस्वीर बहुत मुश्किल है
हम खयालो में हो मुमकिन ही नही-
प्यार की तोड़नी जंजीर बहुत मुश्किल है
मैं मुसब्बिर हूँ तेरी शक्ल बना लेता हूँ-
गर्मी- - साँस की तासीर बहुत मुश्किल है
मैं बहुत बार तेरे दर पे पहुँचता लेकिन -
बिन बुलाये मिले तौकीर बहुत मुश्किल है

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल '' राही ''

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा