Skip to main content

देश पर न्यौछावर बेटा मेरा - मदर्स डे स्पेशल


चिलचिलाती धूप में आंचल की ओट में यूं चेहरा, बारिश में कोमल हाथों से भीगे बाल पोंछना, गोदी में बैठकर रोटी का वो कौर, रात की लोरियां और सुबह जल्दी उठने पर रोज रोज झिड़कियां। मां से जुड़ी यादें इतनी सारी हैं कि उस रग रग में बसे ममत्व को कहने के लिए एक दिन नाकाफी है।

अपनी मां को नमन करने, कृत्ज्ञता व्यक्त करने और उसके सारे दुलार को फिर से तरोताजा कर देने के लिए मदर्स डे काफी खास है। अपनी मां के वात्सल्य और पोषण को न भूलते हुए क्यों न आज उस मां को नमन करें, जिसनें अपने बेटे को खुद के सुख के लिए संजोय नहीं रखा बल्कि देश की सुरक्षा के लिए उसकी आहुती दे डाली।

सलाम उस मां को जिसके बेटे ने सरहद पर लड़ते हुए दम तोड़ा और वह घर पर इस इंतजार में बैठी रही कि बेटा जब लौटेगा तो दुलार से सेहरा बांधेगी, अपने हाथों से खाना बनाएगी, उसकी सूनी आंखो में बेटे की परछाई तो नहीं पड़ी लेकिन आंखों की कोर गीली हो गई। इस गर्व के साथ कि उसने जो किया है वह हर कोई नहीं कर सकता....

याद करें उन मांओं को जिनके पास अब बस अपने बेटे की यादें रह गई हैं...उस मां को जिसने अपने बच्चों की जिम्मेदारी अकेले उठा रखी है.क्योंकि उसका पति सरहद पर है...उस मां को जिसने अपने बुढ़ापे की लाठी पर तिरंगा लपेटने पर कभी उफ्फ नहीं किया....

मुंबई धमाकों में शहीद हुए मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की मां धनलक्ष्मी ने इकलौते बेटे के शहीद होने के गम को देश हित में भुला दिया....

कैप्टन विक्रम बत्रा की मां जय कमल बत्रा, बेटे की शहादत का गर्व उनकी आंखो में आंसुओं के साथ चमक रहा था.....

स्क्वाड्रन लीडर राजीव पुंडीर की पत्नी शर्मिला पुंडीर....जिस वक्त स्क्वाड्रन लीडर पुंडीर शहीद हुए उनकी बेटी भव्या सात साल और बेटा करन केवल छह महीने का था...

अगर आप भी जानते है किसी ऐसी ही मां और उसके बहादुर सपूत की कहानी तो हमें जरूर बताएं और मदर्स डे पर करें उन्हें नमन....

आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा