Skip to main content

ग़ज़ल

ख्वाब में जो कुछ देख रहा हूँ उसका दिखाना मुश्किल है
आईने में फूल खिला है हाथ लगाना मुश्किल है
उसके कदम से फूल खिले है मैंने सुना है चार तरफ
वैसे इस वीरान सेहरा में फूल खिलाना मुश्किल है
तन्हाई में दिल का सहारा एक हवा का झोंका था
वोह भी गया है सुए बयाबा उसका आना मुश्किल है
शीशा गरों के घरों में सूना है एक परी कल आई थी
वैसे ख्याल ओ ख्वाब है परियां उनका आना मुश्किल है
खवाब में जो कुछ देख रहा हूँ उसका दिखाना मुश्किल है
आईने में फूल खिला है हाथ लगाना मुश्किल है

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा