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.मेरी माँ........


हँसती, खिलखिलाती ,मुस्कराती ....मेरी माँ
लिए आँखों में छवि उस ममता की मूरत की
उसकी छाव तले..मिलता ......
मेरे तपते दिल को जो सुकून .....
सूरज सा तेज उसकी आँखों में ....
मिलती चांदनी की ठंडक उसकी पनाहों में ......
प्यार है उसका ..पवन सा पावन.....
मन में उसके शीतलता भरी.........
स्पर्श है उसका जैसे हरता हर
दर्द को मेरे ,
लेती बंलाये वोह मेरी ....
ममता पे वो अपनी ......सदके सदके ..वो वारी वारी ....
माँ.....वो माँ......माँ मेरी ......
(....कृति....अनु....)

Comments

  1. यह हुई ना बात अनु जी
    आज का दिन और आपकी नज्म ना हो सब सूना सा लगता है
    मजा आ गया

    ReplyDelete
  2. अनुराधा जी सुन्दर अभिभ्यक्ति

    ReplyDelete
  3. अनुराधा जी सुन्दर अभिभ्यक्ति

    ReplyDelete
  4. behtareen ....rachna....lajawaab...bemisaal..apka jawab nhi anu jiiii

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा