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कल बस में बात-चित के दौरान एक यात्री ने कुछ प्रश्न खड़े किए,उसने जो कुछ कहा हु -बहू नीचे लिख रहा हूँ ।
" वर्तमान राजनीति के तीन तथाकथित युवा प्रतिनिधि राहुल , प्रियंका और वरुण ,सब के सब गाँधी !कांग्रेस हो या भाजपा गाँधी परिवार हावी है ! क्या देश में एक नेहरु खानदान ही नेता जनने की क्षमता रखता हैं ? कितना बड़ा दुर्भाग्य है हमारा , लोकतान्त्रिक देश में राजवंश की स्थिति बन गई है !क्या भाजपा में वरुण गाँधी को बढावा देकर वंशवाद को मजबूत नहीं किया जा रहा है ? क्या " party with difference " का नारा देने वाली भाजपा अपने मूल्यों और आदर्शों से भाग नही रही ? सत्ता पाने के लिए देश के लोकतंत्र को नेहरू परिवार के हवाले कर देना क्या उचित है ? पता नही , जनता क्या सोचती है ? न जाने क्यूँ कुछ युवा राहुल और वरुण के पीछे पागल हैं ? जो भी हो कम से कम भाजपा को परिवारवाद और वंशवाद से बचना चाहिए था !"
मैंने तो काफी कुछ सोचा । आप भी सोचिये और बताइए क्या इस देश की आने वाली राजनीति में नेहरू परिवार ही एक मात्र विकल्प तो नही होगा ? अगर हुआ , तो इसको रोकना चाहिए कि नही ?

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा