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Loksangharsha: बेटियाँ...



देवताओ को घर में बसा लीजिये
भारती
मान को भी बचा लीजिये
पुरूष चाहते हो कि कल्याण हो-
बेटियाँ
देवियाँ है, दुवा लीजिये

माँ,बहन ,संगिनी,मीत है बेटियाँ
दिव्यती
,धारती, प्रीत है बेटियाँ
देव अराध्य की वंदनाएं है ये-
है ऋचा,मन्त्र है ,गीत है बेटियाँ

जग की आशक्ति का द्वार है बेटियाँ
मानवी
गति का विस्तार है बेटियाँ
जग
कलुष नासती ,मुक्ति का सार है-
शक्ति
है शान्ति है,प्यार है बेटियाँ

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

Comments

  1. बेटियाँ आज के युग में किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं है,जरुरत है तो बस एक सोच की ..जो आपने अपनी कविता द्वारा दी है..!काश इसे सब समझे और अमल में भी लाये..

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  2. बहुत सुन्दर ,भाव पूर्ण----

    बेटी तुम जीवन का धन हो
    इस आन्गन का स्वर्ण सुमन हो।

    जो कहें पराया धन तुझको ,
    वे तो सब ही अग्यानी हैं।

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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