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Loksangharsha

Loksangharsha


कहेगा कैसे भला कोई वे अमाँ हमको।
की जब नवाज़ रहा है ये आसमां हमको ।

कोई ठिकाना नही है जुनूपरस्तों का
फ़िर आप ढूंढेंगे आख़िर कहाँ कहाँ हमको ।

गुलो का खार जमीं को फलक पड़े कहना
इलाही कर दे हमको इस आलम में बेजबाँ हमको ।

जमीन क्या है मुन्नवर है जिनसे अर्शेवारी
खुशनसीब मिला उनका आसमां हमको।

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही '

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा