हिंदुस्तान का दर्द....
-- नाग साँप बिच्छू खड़े, जनता है मजबूर।
जिसे चुना वह डसेगा, हो सत्ता में चूर।।
-- तेंतीस प्रतिशत से अधिक, मिलें न जिसको मत।
जब्त जमानत हो 'सलिल', सुधरेगी कुछ गत।।
-- नाग साँप बिच्छू खड़े, जनता है मजबूर।
जिसे चुना वह डसेगा, हो सत्ता में चूर।।
-- तेंतीस प्रतिशत से अधिक, मिलें न जिसको मत।
जब्त जमानत हो 'सलिल', सुधरेगी कुछ गत।।
bahut achchha likha aapne
ReplyDeleteसलिल जी
ReplyDeleteनेताओं से अधिक जनता ज्यादा स्वार्थी है जो इनके दरवाजे पर लाइन लगाए खड़ी रहती है। सारे ही स्वार्थ के काम नेताओं के माध्यम से होते हैं। यदि हम जनता भी यह निश्चय कर ले कि अपने स्वार्थों की पूर्ति नहीं करेंगे तब इनकी दुकानदारी स्वत: बन्द हो जाएगी। किसी को अपना स्थानान्तरण कराना है, किसी को ठेका लेना है, किसी को और कोई काम है, तो फिर नेता तो फलेंगे और फूलेंगे ही न।
बहुत अच्छा लिखा है
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