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ये है हमारे नेता...

जिस तरह मेले का नाम लेते ही बच्चे उछल पड़ते है उसी तरह चुनाव की घोषणा होते ही नेताओं में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है..!अब देखिये जैसे ही आम .चुनाव का एलान हुआ वैसे ही सब नेता उठ खड़े हुए...जैसे की देव उठनी ग्यारस को देवता उठते है...!जो जहाँ था वहीं से बयानबाजी कर रहा है..!सब को बस टिकट चाहिए..!इसके लिए वे सब भूल गए है या की भूल जाना चाहते है...!कल तक जो एक दूसरे को फूटी आँख नहीं सुहाते थे वे अब गलबहियां डाले टी वी पर दिख रहे है..!टिकट के लिए मेंढक की तरह एक से दूसरी पार्टी के पोखर में फुदक रहे है..!सालों की दोस्ती और दुश्मनी को भुला कर रोज नए नए समीकरण बनाये जा रहे है..!एक अदद टिकट के लिए जी जान लगा रहें है..!झकाझक सफ़ेद कपडों में सजे धजे नेता हर गली मोहल्लों तक पहुँच गए है..!जिस तरह खंभे को देख कर कुत्ता पैर उठा देता है उसी प्रकार ये भी वोटर को देखते ही खींसे निपोर कर भाषण .पिला देते है..!मुझे हँसी आती है ये देख कर की....आज के ये नेता कुछ तो उसूल रखते होंगे..?जी हाँ है न ...वोटर को नए नए सपने दिखाना ,वाडे करना,वोट .खरीदना,प्रलोभन देना आदि बातें सब में समान..है..और ये सब इनमे कॉमन है...!इसके अलावा आधी अधूरी .शिक्षा, देश के बारे में अल्प ज्ञान और पुलिस रिकार्ड तो सबका एक है ही...अब आप बताइए किसे .चुनेंगे आप..?और हाँ पार्टी के नाम पर ना जियेगा...क्यूंकि चुनावों के बाद इन सब की एक ही पार्टी होगी...."सत्ता" आगे यहाँ ...पढ़ें..

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा