अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं।
अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:-
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18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबाई के अंदाज़ में रहती हैं। यानि अपनी पोती की उम्र की लड़की को भी खुशवंत सिंह भौंडी नज़र से देखते हैं। और तो और वो कृष्ण-भक्त मीराबाई को भी अपनी घिनौनी कामुकता के दायरे में ले आते हैं।
93 साल के बुजुर्ग खुशवंत सिंह की टिप्पणियां ये दर्शाती हैं कि वो पूरी तरह से पागल हो चुके हैं। इस तरह की वाहियात सोच और उसका भौंड़ा मुज़ाहिरा खुशवंत सिंह जैसा कोई सिरफिरा ही कर सकता है। आखिर खुशवंत सिंह साहब ये बताएंगे कि उन्होने इन चार हिंदू महिलाओं के ही नाम क्यों लिखे? क्यों उन्होने मायावती, जयललिता, ममता बैनर्जी इत्यादि नेत्रियों के नाम नहीं लिखे? क्या मायावती का नाम लिखने की हिम्मत है खुशवंत सिंह में? मायावती छठी का दूध याद दिला देतीं खुशवंत को। बुढ़ापे का ठरकपन सीधा कब्र में जाकर ही ख़त्म होता !
दरअसल, खुशवंत सिंह एक नंबर के लंपट हैं और उनकी ये सोच उनकी लंपटता की मिसाल है। एक नंबर के डरपोक भी हैं, इसीलिए अपने से ताकतवर के खिलाफ कुछ लिखने की हिमाकत नहीं करते। खुशवंत सिंह के चरित्र और कारगुज़ारियों के बारे में कौन नहीं जानता। ख़ासे बदनाम हैं वो अपनी लतों और हरकतों की वजह से। पुराने रईस हैं, उम्रदराज़ हैं, इसीलिए सब चल जाता है। लोग ये भी समझ बैठते हैं कि आज मरे कल दूसरा दिन, कौन बेकार में पंगा ले।
समाचार पत्र में प्रकाशित खुशवंत सिंह के ताज़ा लेख का संज्ञान लेते हुए, हमने 'वॉयस ऑफ इंडिया' पर ख़बर दिखाई। खुशवंत सिंह को फोन लगाया, उन्होने फोन काट दिया। उन्हे फिर फोन लगाया, बात हुई। साहब कहते हैं कि उन्हे जो कहना था लिख दिया, अब कुछ नहीं बोलेंगे। ख़ैर, इसी मु्ददे पर उमा भारती से बात की। तुंरत ही उन्होने अपनी पार्टी भारतीय जनशक्ति पार्टी के लैटर-हैड पर अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर कर दी। खुशवंत सिंह को नसीहत दी और साथ ही गो-मूत्र की एक शीशी भेज दी। सलाह ये दी गो-मूत्र पीजिए, दिल और दिमाग को शुद्ध कीजिए।
चलिए, अब ज़रा मैं खुशवंत सिंह साहब की औकात पर आता हूं। उनकी कुछ किताबें मैनें भी पढ़ी हैं। 'ट्रेन टू पाकिस्तान' और 'कंपनी ऑफ वूमेन'। इन दोनों ही किताबों में खुशवंत ने अपनी यौन कुंठाओं का टनाटन ज़िक्र किया है। जिन कुंठाओं को निकालने में वो सेक्स क्रियाओं को अपनाने की दलीलें देते हैं, वही कुंठाएं उनके लेखन में भरी पड़ी हैं। एकबारगी तो लगता है कि लेखक नहीं, यौन फिल्मों में बेशर्मी से काम करने वाले पोर्न स्टार रहे हों खुशवंत सिंह। ये और बात है कि उम्र ने उन्हे लाचार कर दिया है वरना अभी किसी हरम में पड़े होते जनाब। ख़ैर, उनका दिमाग तो मानसिक-हरम में ही सड़ा जा रहा है। लगता है 'मानसिक-एड्स' के शिकार हो गए हैं खुशवंत सिंह।
हां, तो हम उनकी पुस्तकें 'ट्रेन टू पाकिस्तान' और 'कंपनी ऑफ वूमेन' की बात कर रहे थे। 'ट्रेन टू पाकिस्तान' में उन्होने भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दर्द को उकेरा है। शुरू के कुछ पन्नों में तो वाकई दर्द है लेकिन आगे वही दर्द यौन कुंठा की बानगी में परिवर्तित हो जाता है। एक तरफ लोगों की जान जा रही थी, घर बार छूटा जा रहा था और दूसरी तरफ एक लंपट लेखक को ट्रेन के भीतर सैक्स का सीन नज़र आ रहा था। वो एक जवान लडकी का चित्रण करता है और उसके साथ अपनी शाब्दिक यौन कुंठाओं से संतुष्टि प्राप्ति का ढ़ोंग रचता है। वो धड़ल्ले से अत्याधिक अश्लील शब्दावली का इस्तेमाल करता है। 'कंपनी ऑफ वूमेन' में खुशवंत सिंह ने अपने मित्र नायक 'राम' का ज़िक्र किया है। वो कहते हैं कि राम विदेश जाता है। वहां उसकी कई लड़कियों से दोस्ती हो जाती है। वो उन सभी के साथ सेक्स करता है। उसके बाद वो हर लड़की में सेक्स की संभावनाएं तलाशने लगता है। अपने घर पर काम करने वाली नौकरानियों को भी वो नहीं छोड़ता। उनके साथ भी शारीरिक संबंध बनाता है। उसका लिंग काफी बड़ा एवं मोटा होता है। औरतों के बीच हिंदू-लिंगम के नाम से मशहूर होता जाता है उसका लिंग। वगैरह-वगैरह। ऐसी ही ऊल-जुलूल बातें इन्होने अपनी किताबें 'औरतें' और 'सच, प्यार और शरारत' में भी लिखीं थीं। 'पैराडाइज़' में इन्होने जिस तरह से औरत की मर्यादा के खिलवाड़ किया है वो वाकई शर्मनाक है।
अब आप ही बताइए, ऐसी बकवास बातें लिखने वाला शख्स क्या संतुलित मानसिकता वाला हो सकता है? क्या कोई भी सभ्य इंसान इस तरह की असभ्य भाषा का इस्तेमाल कर सकता है? क्या हिंदू महिलाओं अथवा किसी भी जाति की महिलाओं पर इस तरह की ओछी टिप्पणी करने वाला बदतमीज़ न कहलाए तो उसे क्या कहा जाए? ज़ाहिरा तौर पर बुद्धि खराब हो गई लगती है ठरकी खुशवंत सिंह की। सठिया तो वो कई साल पहले ही गए थे लेकिन अब लगता है कि सड़िया गए हैं खुशवंत सिंह जी। वो कहते भी हैं कि बुझने के पहले दिए की लौ बहुत तेज़ी से फड़फड़ाती है... हो सकता है कि ये खुशवंत सिंह जी की फड़फड़ाहट हो, एक अतृप्त यौन फड़फड़ाहट... !आगे पढ़ें के आगे यहाँ
93 साल के बुजुर्ग खुशवंत सिंह की टिप्पणियां ये दर्शाती हैं कि वो पूरी तरह से पागल हो चुके हैं। इस तरह की वाहियात सोच और उसका भौंड़ा मुज़ाहिरा खुशवंत सिंह जैसा कोई सिरफिरा ही कर सकता है। आखिर खुशवंत सिंह साहब ये बताएंगे कि उन्होने इन चार हिंदू महिलाओं के ही नाम क्यों लिखे? क्यों उन्होने मायावती, जयललिता, ममता बैनर्जी इत्यादि नेत्रियों के नाम नहीं लिखे? क्या मायावती का नाम लिखने की हिम्मत है खुशवंत सिंह में? मायावती छठी का दूध याद दिला देतीं खुशवंत को। बुढ़ापे का ठरकपन सीधा कब्र में जाकर ही ख़त्म होता !
दरअसल, खुशवंत सिंह एक नंबर के लंपट हैं और उनकी ये सोच उनकी लंपटता की मिसाल है। एक नंबर के डरपोक भी हैं, इसीलिए अपने से ताकतवर के खिलाफ कुछ लिखने की हिमाकत नहीं करते। खुशवंत सिंह के चरित्र और कारगुज़ारियों के बारे में कौन नहीं जानता। ख़ासे बदनाम हैं वो अपनी लतों और हरकतों की वजह से। पुराने रईस हैं, उम्रदराज़ हैं, इसीलिए सब चल जाता है। लोग ये भी समझ बैठते हैं कि आज मरे कल दूसरा दिन, कौन बेकार में पंगा ले।
समाचार पत्र में प्रकाशित खुशवंत सिंह के ताज़ा लेख का संज्ञान लेते हुए, हमने 'वॉयस ऑफ इंडिया' पर ख़बर दिखाई। खुशवंत सिंह को फोन लगाया, उन्होने फोन काट दिया। उन्हे फिर फोन लगाया, बात हुई। साहब कहते हैं कि उन्हे जो कहना था लिख दिया, अब कुछ नहीं बोलेंगे। ख़ैर, इसी मु्ददे पर उमा भारती से बात की। तुंरत ही उन्होने अपनी पार्टी भारतीय जनशक्ति पार्टी के लैटर-हैड पर अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर कर दी। खुशवंत सिंह को नसीहत दी और साथ ही गो-मूत्र की एक शीशी भेज दी। सलाह ये दी गो-मूत्र पीजिए, दिल और दिमाग को शुद्ध कीजिए।
चलिए, अब ज़रा मैं खुशवंत सिंह साहब की औकात पर आता हूं। उनकी कुछ किताबें मैनें भी पढ़ी हैं। 'ट्रेन टू पाकिस्तान' और 'कंपनी ऑफ वूमेन'। इन दोनों ही किताबों में खुशवंत ने अपनी यौन कुंठाओं का टनाटन ज़िक्र किया है। जिन कुंठाओं को निकालने में वो सेक्स क्रियाओं को अपनाने की दलीलें देते हैं, वही कुंठाएं उनके लेखन में भरी पड़ी हैं। एकबारगी तो लगता है कि लेखक नहीं, यौन फिल्मों में बेशर्मी से काम करने वाले पोर्न स्टार रहे हों खुशवंत सिंह। ये और बात है कि उम्र ने उन्हे लाचार कर दिया है वरना अभी किसी हरम में पड़े होते जनाब। ख़ैर, उनका दिमाग तो मानसिक-हरम में ही सड़ा जा रहा है। लगता है 'मानसिक-एड्स' के शिकार हो गए हैं खुशवंत सिंह।
हां, तो हम उनकी पुस्तकें 'ट्रेन टू पाकिस्तान' और 'कंपनी ऑफ वूमेन' की बात कर रहे थे। 'ट्रेन टू पाकिस्तान' में उन्होने भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दर्द को उकेरा है। शुरू के कुछ पन्नों में तो वाकई दर्द है लेकिन आगे वही दर्द यौन कुंठा की बानगी में परिवर्तित हो जाता है। एक तरफ लोगों की जान जा रही थी, घर बार छूटा जा रहा था और दूसरी तरफ एक लंपट लेखक को ट्रेन के भीतर सैक्स का सीन नज़र आ रहा था। वो एक जवान लडकी का चित्रण करता है और उसके साथ अपनी शाब्दिक यौन कुंठाओं से संतुष्टि प्राप्ति का ढ़ोंग रचता है। वो धड़ल्ले से अत्याधिक अश्लील शब्दावली का इस्तेमाल करता है। 'कंपनी ऑफ वूमेन' में खुशवंत सिंह ने अपने मित्र नायक 'राम' का ज़िक्र किया है। वो कहते हैं कि राम विदेश जाता है। वहां उसकी कई लड़कियों से दोस्ती हो जाती है। वो उन सभी के साथ सेक्स करता है। उसके बाद वो हर लड़की में सेक्स की संभावनाएं तलाशने लगता है। अपने घर पर काम करने वाली नौकरानियों को भी वो नहीं छोड़ता। उनके साथ भी शारीरिक संबंध बनाता है। उसका लिंग काफी बड़ा एवं मोटा होता है। औरतों के बीच हिंदू-लिंगम के नाम से मशहूर होता जाता है उसका लिंग। वगैरह-वगैरह। ऐसी ही ऊल-जुलूल बातें इन्होने अपनी किताबें 'औरतें' और 'सच, प्यार और शरारत' में भी लिखीं थीं। 'पैराडाइज़' में इन्होने जिस तरह से औरत की मर्यादा के खिलवाड़ किया है वो वाकई शर्मनाक है।
अब आप ही बताइए, ऐसी बकवास बातें लिखने वाला शख्स क्या संतुलित मानसिकता वाला हो सकता है? क्या कोई भी सभ्य इंसान इस तरह की असभ्य भाषा का इस्तेमाल कर सकता है? क्या हिंदू महिलाओं अथवा किसी भी जाति की महिलाओं पर इस तरह की ओछी टिप्पणी करने वाला बदतमीज़ न कहलाए तो उसे क्या कहा जाए? ज़ाहिरा तौर पर बुद्धि खराब हो गई लगती है ठरकी खुशवंत सिंह की। सठिया तो वो कई साल पहले ही गए थे लेकिन अब लगता है कि सड़िया गए हैं खुशवंत सिंह जी। वो कहते भी हैं कि बुझने के पहले दिए की लौ बहुत तेज़ी से फड़फड़ाती है... हो सकता है कि ये खुशवंत सिंह जी की फड़फड़ाहट हो, एक अतृप्त यौन फड़फड़ाहट... !आगे पढ़ें के आगे यहाँ
खुशवंत सिंह साहब आप तो बड़ी ही छोटी मानसिकता के निकले मैं बेकार मैं आपको अच्छा समझ बैठी थी!
ReplyDeleteअतुल जी का अच्छा लेख !बधाई हो
सोनिया जी आप इन्हें अच्छा समझती थी चलिए कोई बात नहीं है आज अतुल जी ने आपकी आँखें खोल दी है !अतुल जी उनकी जिस किताब के बारे मे बात कर रहे है बह भी बेकार है !
ReplyDeleteअतुल जी का लेख पड़कर अच्छा लगा
सोनिया जी आप इन्हें अच्छा समझती थी चलिए कोई बात नहीं है आज अतुल जी ने आपकी आँखें खोल दी है !अतुल जी उनकी जिस किताब के बारे मे बात कर रहे है बह भी बेकार है !
ReplyDeleteअतुल जी का लेख पड़कर अच्छा लगा
ऐसे लोगों के कारण ही हम विदेशों में बदनाम हुए है...!खुशवंत सिंह दरअसल में मानसिक रूप से कुंठित व्यक्ति है जो अभी भी इन बातों से संतुष्ट होने की कोशिश करते है...लेकिन इन चार महिलाओं के अलावा और भी थी..उनके बारे में लिखते?अतुल जी बधाई के पात्र..है...!खुशवंत सिंह को तो अब पढता ही कौन है जो उनसे कुछ उम्मीद की जाए..!नायक का नाम राम रखना भी संदेह पैदा करता है...
ReplyDeletesonia jee , is aalekh mein atul jee ne khuswant ki hakikat khol kar rakh di hai , aisa nhi ki yah pahli ghatna hai khuswant to apni yaun kunthit bakwas baji hetu hi jane jate hai . aise logo ko bharat mein patrkar ke rup mein mahimmandit kiya jata rha hai jo sharmnaak hai .................... arundhati roy ...... shobha dey aadi bhi isi pidhi ke kadi hai ......................... rajendra yadav ke sahyog se arundhati khuleaam shadi ko jail batati hain ................. to kabhi kashmiar mudde par pakistan ka samarthan karti hai ..................... in logo ki niji jindgi ko dekhe to wo bhi bas kamar ke niche aur ghtno se upar hi simit dikhti hai .................atul jee ki himmat ki dad deta hoon ki unhone inke khilaf likha kyunki inke upar likhne aur bolne se aapko hindu kattarpanthi hone ka aarop lag sakta hai ........ ho sakta hai aapko bhi pragya ke saath hone ke aaroop mein rasuka laga diya jaye ........................
ReplyDeleteसोनिया जी , इस आलेख में अतुल जी ने खुशवंत की हकीकत खोल कर रख दी है , ऐसा नही की यह पहली घटना है खुशवंत सिंह तो अपनी यौन कुंठित बकवासबाजी हेतु ही जाने जाते है . ऐसे लोगो को भारत में पत्रकार के रूप में महिम्मंदित किया जाता रहा है जो शर्मनाक है .................... अरुंधती रोय ...... शोभा डे आदि भी इसी पीढी के कड़ी है ......................... राजेंद्र यादव के सहयोग से अरुंधती खुलेआम शादी को जेल बताती हैं ................. तो कभी कश्मिअर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करती है ..................... इन लोगो की निजी जिन्दगी को देखे तो वो भी बस कमर के निचे और घ्त्नो से ऊपर ही सिमित दिखती है .................अतुल जी की हिम्मत की दाद देता हूँ की उन्होंने इनके खिलाफ लिखा क्यूंकि इनके ऊपर लिखने और बोलने से आपको हिंदू कट्टरपंथी होने का आरोप लग सकता है ........ हो सकता है आपको भी प्रज्ञा के साथ होने के आरूप में रासुका लगा दिया जाए ........................
ReplyDeleteagar khuswant singh kuntith hai to app kya ho ????
ReplyDeleteaapko sirf yeh dikhe ke charo mahlaiye hindu hai lekin jo inka chariter hai woo nahin dikha kitna jehar ugla kitne insaano ko jinda jalana main inka haath tha
bilkul theek likha
sach karrrwa hota hai
jo ling ko pujne vale nahin bardashat kar saktee
khuswant singh insaano ke liye likhte hai na ki hindu musalmaano ke liyo ....................
ReplyDeletehe is right those who are sexually satisfied dont get into killing people and disturbing others by their speeches.............satisfied people are peace loving unlike dese he mentioned in his coloumn
ReplyDeleteअतुल जी लेख बहुत पसंद आया
ReplyDeleteलेकिन यह बेनाम से राय देने वालों पर पावंदी लगनी होगी क्योंकि जो खुलकर बोल नहीं सकता उसका हिन्दुस्तान का दर्द पर आना सार्थक नहीं हो सकता
मैं आपकी बात से सहमत हूँ कल्पना जी
ReplyDeleteइसका निकाल लिया जायेगा
सुक्रिया
क्यूँ भाई बेनामी ! बड़ी तरफदारी कर रहे हो खुशवंत की ! गूदा है तो सामने आकर लोगों को अपनी बात से सहमत करने की कोशिश करो न ! और केवल यही मुद्दा नहीं है की वो चारों महिलाएं हिन्दू हैं . ये तो तुम जैसे स्वघोषित धर्मनिरपेक्ष लोग हिन्दू मुस्लिम की बात ले आते हैं . सच लिखो तो हिन्दू वादी हो गए वाह भाई वाह ! अभी एक पोस्ट कर रहा हूँ ........... जरा उसे भी पढना ........................
ReplyDeletetum kaun sa mere sahmane baith kar tipni kar raho hoo naaam to kuch bhi sakta hai bachhe
ReplyDeleteagar jahi lekh kisi aur dharam ki mahilayo par hota to jaha par jo bhi so called mahan sabhayata ke varis hindusatni baithe huye comment kar rahe hai unki jubaan tak nahin hiltii
jo baat khuswant ne likhi wahi baat tipni karne vale ne bhi likh di khuswant ke bare main
to abb kaha gayi aapki viraasat
aapke hi poorvaj kamasutra likh kar gaye hai uhne koso pehle agar sexuallity par baat nahin kar sakte to pakistan chale jaooo
@ Anonymous
ReplyDeleteजॉर्ज बुश और अमरीकी व यूरोपीय सैनिक भी अगर अमेरिका में ही यौन संतुष्टि पा लेते तो Iraq और अफानिस्तान में दस लाख लोगों की जान न लेते. क्यों भाई स....
देखो न यौन कुंठा निकालने के लिए अमरीकियों को अफगानिस्तान और इराक आना पड़ा. कितनी पाबन्दी है वहां अमरीका में , खुशवंत सिंह यह ज्ञान अमरीका जा कर बाँटें, ओसामा, mullon और तालिबान को भी लगे हाथ सेक्स का पाठ पढ़ा दें.
ReplyDelete@ Anonymous
ReplyDeletebhai yeh to har taraf haii..........
baat ka saar hai ki jo khuswant singh ne kaha uski alochna kyon kar rahe har kisi ko bolne ka haq hai so usne use kiya aapko nahin pasand na parro usko lekin yeh kehna ki wohh kunthit hai fala fala aaapki hi kuntha dikhata ki app
agar aapp ling aur yoni koo pooj sakte ho to aasi baat parrne main kya hota hai ja to use bhi band karoo aor fir baat karo
जयराम जी यह ऐसे शख्स है जो पीछे से ताना मारने में विस्वास रखते है इनका खुद का कोई विचार नहीं होता
ReplyDeleteलगे रहो दोस्त..भारत देश में तुम्हारे लिए भी जगह है
जयराम जी यह ऐसे शख्स है जो पीछे से ताना मारने में विस्वास रखते है इनका खुद का कोई विचार नहीं होता
ReplyDeleteलगे रहो दोस्त..भारत देश में तुम्हारे लिए भी जगह है
desh main jagah ki baat kar dikha dii maansikta aapp ki wahi jo pakistaniyo ki aaur taalibano kii
ReplyDeletekhushwant ki tulna watsyayan se karna tumhare dimagi diwaliyapan ka parichayak hai ..........
ReplyDeleteक्यों भाई स.... लिंग और योनी में कोई बुराई है क्या, तुम भी उसी से आये हो और मैं भी, दुनिया का कोई भी इन्सान उनके बगैर पैदा नहीं हुआ. तो जो जैविक रचना का प्रतीक है उसे पूजने में बुराई क्या है? हमारी सृष्टि सेक्स से हुई है और हम उसे पवित्र मानते हैं न की गन्दा, इसीलिए पूजते हैं, सृष्टि और ईश्वर का प्रतीक मानते हैं.
ReplyDeleteगंदगी तुम्हारे मन में है, इसीलिए अपवित्र मान खाल काट देते हो, जिसे मेन्युफेक्चरिंग डिफेक्ट बता कर तुम खुदा की काबिलियत पर ही सवाल उठा देते हो. लाहौल विला कुवत! क्या यह कुफ्र नहीं?
22 maine kabb kaha ling aur yoni pujne main burai hai???????
ReplyDeletemaine to kaha agar pujja ja sakta hai to khuswant ki baat par batanger kyon banaya ja raha ????use hindu istrii ka aapman bola ja rhaa hai ????
maine to bass itna kaha
tulna nahinn ki maine agar wo kabul hai to yeh bhi kabool karo
but tum ekk aur jhuuthe great civilization pe iterane vale hooo
See the photos of hajar al aswad (black stone in macca). And tell what it looks like? Atleast we are honest.
ReplyDeleteSearch Google images 'hajar al aswad' and 'black stone macca'.
ling-yoni poojak? you dare to say?
दोस्त योनी से तो सब आते है लेकिन हम समाज में इसका डंका पीटते नहीं फिरते
ReplyDeleteबच्चा जा पूछता है की मैन कैसे हुआ तो माँ यह नहीं कहती की तुम योनी से हुए हो
बल्कि परियों की कहानी में उलझाकर बच्चे को समझा देती है और ऐसा भी नहीं है की उस घटना से बच्चे को जिंदगी भर वो ज्ञान न मिल पता और समय के साथ साथ बह सब समझ जाता है !तो यहाँ लिंग और योनी चिल्लाकर किसको क्या बताने की कोशिश कर रहे हो...और समाज का उद्धार करने का यह कोई जायज तरीका भी नहीं है
agar aap ki dhaarmik bhavnao ko thes pahonchiii
ReplyDeleteto main tehe dil se maafi maangta hoon
meri baat ko galat dhang se liya gaya haiii
दोस्त योनी से तो सब आते है लेकिन हम समाज में इसका डंका पीटते नहीं फिरते
ReplyDeleteबच्चा जा पूछता है की मैन कैसे हुआ तो माँ यह नहीं कहती की तुम योनी से हुए हो
बल्कि परियों की कहानी में उलझाकर बच्चे को समझा देती है और ऐसा भी नहीं है की उस घटना से बच्चे को जिंदगी भर वो ज्ञान न मिल पता और समय के साथ साथ बह सब समझ जाता है !तो यहाँ लिंग और योनी चिल्लाकर किसको क्या बताने की कोशिश कर रहे हो...और समाज का उद्धार करने का यह कोई जायज तरीका भी नहीं है
achha blog hai. khushwant singh likhte bahut achha hai par wah aksar bhatak jate hai. yaha a train to pakistaan ka jikr karna chahunga, wo vastav me ek bahut achha novel hai.
ReplyDeletegalti hamaari media ki aur sampadako ki hai. kyaa wo log sampadan karna bhul gaye hai ki lekhak kuchh bhi likh de aur wo use vaise hi chhap de.bade aur nami lekhak hone ka matlab yah nahi hai ki wo kachjra likhe aur akhbaar us kachre ko chhap de.
agar aap sex ko pavitaar maante ho to khuswant singh ki baaton ko apne aur apne dharam ke upper kyon lete hooo
ReplyDeletekhuswant singh sach bolta hai isliye aaapko karrwa lagta hai
ReplyDeletenothing else
भाई पकाऊ हम इसे हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं करते, पवित्र और व्यक्तिगत मानते है. सेक्स को पवित्र मानाने का मतलब राह चलती किसी औरत को नंगा कर देना या व्यभिचार सरेआम करना नहीं है, बल्कि सृजन की पूजा करना है.
ReplyDeleteदोनों अलग बातें हैं. उनकी सेक्सुआलिटी या ब्रहमचर्य उनका व्यक्तिगत मामला है. और वैसे भी ब्रह्मचर्य सृजन की शक्ति अपने अन्दर रोकने का प्रयास है. अमरीकी सैनिकों और आतंकियों ने कितनो को अपने हाथों से मारा और और इन चार हिन्दू महिलाओं ने कितनो को? और इनमे यानि आतंकी अमरीकी और साध्वी कौन ब्रह्मचारी है? आखिर खुशवंत सिंह साहब ये बताएंगे कि उन्होने इन चार हिंदू महिलाओं के ही नाम क्यों लिखे? क्यों उन्होने मायावती, जयललिता, ममता बैनर्जी इत्यादि नेत्रियों के नाम नहीं लिखे? क्या मायावती का नाम लिखने की हिम्मत है खुशवंत सिंह में? मायावती छठी का दूध याद दिला देतीं खुशवंत को। बुढ़ापे का ठरकपन सीधा कब्र में जाकर ही ख़त्म होता !
हज़र अल असवाद की फोटो देखी या नहीं ? कहा जाता है यह प्रतीक इस्लाम से भी काफी पहले का है. जो की अब मुस्लिमो द्वारा पूज्य है. भले ही पूजा चूमकर की जाती है (हम प्रतीकों के आगे सर झुकाते हैं)
http://www.youtube.com/watch?v=3sBNUZol1UY
अब और ज्ञान नहीं बांटूंगा क्योंकि
एक जानकार जितने प्रश्नों का उत्तर दे सकता है, उससे हज़ार गुना प्रश्न एक मुर्ख पूछ सकता है I don't have so much time, ok!
jai ho maryada purshotamo ki jai ho
ReplyDeletemast raho apni duniya main dhanye hoo
ReplyDeletedhaneyoo hoooo appp sanskriti ke sawambhoo thekedarooo
jitni marji behas karr loo par sachi baat jahi hai ki agar jahi khuswant singh ka lekh dukhtarane milaat ja kisi aur talibani mahila sangathan par aata tu tum main se kisi nu choo nahin karna thaa,kisi ko koi faraq nahin parna tha bass yeh lekh hindu hindu ka raag alaapne waliyo par aaya hai to tum sab ki taaanye taanye fiiss ho gayiiiiiiiiiiiii
ReplyDeleteअतुल जी, एक प्रसिद्ध पत्रकार लेकिन स्तरहीन और घटिया व्यक्ति की लानत-मलानत करने के लिए और तथ्यात्मक ढंग से ये शुभ काम करने के लिए आपको बधाई.. आगे भी ऐसे महानुभावों को उनकी औकात बताते रहने की ज़रुरत है,इसलिए क़लम की धार को कुंद मत होने दीजिएगा।
ReplyDeleteशुभकामनाओं के साथ,
अमित त्रिपाठी
अभी हाल ही मेमन हिन्दुस्तान का दर्द पर अनाम नामों की बजह से जो हुआ वह अच्छा नहीं था जिसे अपनी बात रखनी है खुल कर रखे,हम आपकी राय का सम्मान करते है जिस तरह से आप
ReplyDeleteअपनी बात नाम छुपाकर रख रहे है अच्छा सा नहीं लगता !
आशा है अनाम जी बात को सम्झंगे और खुलकर कहेंगे !
अभी हाल ही मेमन हिन्दुस्तान का दर्द पर अनाम नामों की बजह से जो हुआ वह अच्छा नहीं था जिसे अपनी बात रखनी है खुल कर रखे,हम आपकी राय का सम्मान करते है जिस तरह से आप
ReplyDeleteअपनी बात नाम छुपाकर रख रहे है अच्छा सा नहीं लगता !
आशा है अनाम जी बात को सम्झंगे और खुलकर कहेंगे !
अतुल ने बहुत सही पोस्ट लिखी है,खुसवन्त तो सदा से ही ऊल-जुलूल, शराबी-कबाबी दिमाग का व्यक्ति है,अधिक्तर लोग जनते हैं, कुछ नये लोग व बच्चे नहीं जानते थे सो अतुल ने बता दिया, जाने कैसे अखवार वाले इसके स्तम्भ को छापते रहते हैं, क्या मज़्बूरी है,या बाज़ारू भाव?
ReplyDeleteमै इसकी माँ चोद दूगाँ॥
ReplyDeleteखुशवंत सिह शायद युवा वर्ग को प्रभावित करना चाहते है. जिवन के आखरी दिनो मे जब दीमाग शिथिल हो जाता है ये रचनाये उसी कमजोरी को दर्शाती है.
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