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~~~~~~~~मिडिया भी है चुप क्यो ?~~~~~~

फिसले भागो (मंच में ) में इंसान और उसके तरीको पर मैंने लेख लिखा जो की लोगो के दुयारा सराहे गए और जिसने पुरा धान से पडा उसको समझ में भी आया की किस प्रकार इंसान में बदलाब रहे है

दोस्तों एक बात जो आप के है आस पास उस पर मिडिया भी है चुप क्यो ?

" पहले की बात है बचपन की हम या कोई और मीठा खाना पसंद करते थे और ये सब प्राणियो का गुन है मीठा से प्यारपर आज कल बच्चे कोई भी हो किसीजाती धर्म का हो वो नमकीन मागता है और टाफी या चाकलेट की जगह मीता ही मागता है "" क्यो ?

जैसे भैस पर लगाई जाने वाली सुई से गिद्ध प्रजाती समत हो गयी ( बाद में पता चला )
जैसे उर्वरक से तितलिया गेस समाप्त हो गये ( बाद में पता चला )
कही हर माह पिलाई जाने वाली दवाइयों से ये लच्चन हो रहा हो ( बाद में क्या होगा इसका प्रभाव ) साइडइफेक्ट

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा