Skip to main content

साथी का हाथ पकड़ कर चलना भरोसे का प्रतिक और विश्वास का नाम है ......

पार्क में देखा.... पति पत्नी एक दुसरे का हाथ पकड़कर चल रहे थे । डेली का उनका रूटीन था । जान पहचान वाले थे । एक दिन उनके घर जाने पर कारण पूछ ही लिया । पत्नी बोली ...साथी का हाथ पकड़ कर चलना भरोसे का प्रतिक और विश्वास का नाम है । यह हम दोनों को हमसफ़र होने की याद दिलाता है ।

Comments

  1. बिल्‍कुल सही कहा आपने

    ReplyDelete
  2. सोनिया जी , इस आलेख में अतुल जी ने खुशवंत की हकीकत खोल कर रख दी है , ऐसा नही की यह पहली घटना है खुशवंत सिंह तो अपनी यौन कुंठित बकवासबाजी हेतु ही जाने जाते है . ऐसे लोगो को भारत में पत्रकार के रूप में महिम्मंदित किया जाता रहा है जो शर्मनाक है .................... अरुंधती रोय ...... शोभा डे आदि भी इसी पीढी के कड़ी है ......................... राजेंद्र यादव के सहयोग से अरुंधती खुलेआम शादी को जेल बताती हैं ................. तो कभी कश्मिअर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करती है ..................... इन लोगो की निजी जिन्दगी को देखे तो वो भी बस कमर के निचे और घ्त्नो से ऊपर ही सिमित दिखती है .................अतुल जी की हिम्मत की दाद देता हूँ की उन्होंने इनके खिलाफ लिखा क्यूंकि इनके ऊपर लिखने और बोलने से आपको हिंदू कट्टरपंथी होने का आरोप लग सकता है ........ हो सकता है आपको भी प्रज्ञा के साथ होने के आरूप में रासुका लगा दिया जाए ........................

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा