पंजाब और भगत सिंह
पंजाब ने झेला कभी दंस आतंक का
तो कभी झेला दंस सियासत का
आज फिर रो रहा है पंजाब खून के आसू
खो कर अपना इक और लाल
चलता था वो कभी इसके सीने पर
लाने को क्रांति बदलाव की
आवाज था वो अवाम की
था वो उनका पहरेदार
पंजाब ने झेला कभी दंस आतंक का
तो कभी झेला दंस सियासत का
आज फिर रो रहा है पंजाब खून के आसू
खो कर अपना इक और लाल
चलता था वो कभी इसके सीने पर
लाने को क्रांति बदलाव की
आवाज था वो अवाम की
था वो उनका पहरेदार
मंजू जी बहुत बढ़िया लिखा है आपने !
ReplyDeleteमंजू जी बहुत बढ़िया लिखा है आपने !
ReplyDeleteसटीक लेखन किया आपने
ReplyDeleteबधाई हो