Skip to main content

सपनो की तलाश


नींद में

सपने तलाशना (?)

ठीक है ;

आंखों में

सपने तलाशना (!)

भी ठीक है

लेकिन यदि कोई

सपनो में

सपने तलाशे .............!!

तो ..............??

आरती "आस्था "

Comments

  1. सुन्दर रचना लिखी है आरती जी आपने

    ReplyDelete
  2. मिर्चू मल पन्सारी ,
    या पुन्नू पनवाडी,
    घसीटा राम नाई,
    या ननकू हल्वाई ;
    दफ़्तर के बाबू की चिन्ता ,
    या स्मग्लर किन्ग की दुश्चिन्ता;
    सब्पर छाती है ,
    धीरे -धीरे आती है ,
    नींद , कितनी साम्यवादी है.
    सभी की आंखों को ,
    रोज़ शाम ढ्ले रातों को,
    सताती है,
    स्वप्नों के पन्खोंपर ,
    चद्कर आती है,
    नींद कितनी बडी साम्य्वादी है.

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा