Skip to main content

दो दुम का दोहा: आचार्य संजीव 'सलिल'

प्रजातंत्र में प्रजा के, मन में भारी पीर।

अपराधी नेता बनें, स्थिति है गंभीर॥

न इनको बख्शा जाए।

कोई औकात दिखाए॥

*********

Comments

  1. भारतीय संबिधान में छेद हो चुके है और उन छेदों को जब भरा जाएँ तो ऐसी प्रथा ऐसा कानून बनाया जाना चहिये की आरोपी और असिक्षित चुनाव न लढ सके !

    ReplyDelete
  2. भारतीय संबिधान में छेद हो चुके है और उन छेदों को जब भरा जाएँ तो ऐसी प्रथा ऐसा कानून बनाया जाना चहिये की आरोपी और असिक्षित चुनाव न लढ सके !

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा