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दो दम का एक दोहा : आचर्य संजीव 'सलिल'

लोकतंत्र के देखिये, अजब अनोखे रंग।

नेता-अफसर चूसते, खून आदमी तंग॥

जंग करते हैं नकली।

माल खाते हैं असली॥

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--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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