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अश'आर - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'

बेताब है सूरज सवेरा कब होगा?
इठलाती उषा आयेगी वो तब होगा।

जो रहा बेताब वो आगे बढ़ा है।
जो नहीं बेताब वो पीछे खड़ा है।

उठी चिलमन तो देखा हम रहे जिनके लिए बेताब।
चिलमन में छिपे वो भी हमारे लिए बेताब।

Comments

  1. संजीव जी सलाम है आपके लिए
    अच्छा लिखा है

    ReplyDelete
  2. अच्छा लिखा है
    बढ़िया लेखन

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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