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शे'र आचार्य संजीव 'सलिल'

शे'र

आचार्य संजीव 'सलिल'

दोस्त जब मेहरबां हुए हम पर।
दुश्मनों की न फ़िर ज़रूरत थी।

Comments

  1. आप जैसा दोस्त हो तो दुश्मनों की जरुरत ही क्या है कुछ इसी तरह का भाव है आपके शेर में
    बढ़िया बहुत खूब!

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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