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विष्णु प्रभाकर

आज विष्णु प्रभाकर हमारे बीच से चले गए लेकिन उनकी रचनाएं हमेशा लोगों के साथ रहेंगी। प्रभाकर को पद्मभूषण दिया गया था, लेकिन देर से दिए जाने पर अपने सम्मान पर चोट मानते हुए लेने से इनकार कर दिया थाउन्होंने अपने स्वाभिमान से कभी भी समझौता नही कियाउनका साहित्य पुरस्कारों से नही बल्कि पाठको के स्नेह से प्रसिद्ध हुआ
उनका जन्म 20 जुलाई 1912 को उत्तरप्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर गांव में हुआ था। छोटी उम्र में ही वह पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से हिसार चले गए थे। प्रभाकर पर महात्मा गांधी के दर्शन और सिद्धांतों का गहरा असर पड़ा। स्वतंत्रता संग्राम के महासमर में उन्होंने अपनी लेखनी को अंग्रेजों के ख़िलाफ़ हथियार के रूप में प्रयोग किया

१९३१ में हिन्दी मिलाप में उनकी पहली कहानी छपी और इसी से उनका साहित्य जगत में आगाज हुआ । आजादी के बाद उन्हें दिल्ली आकाशवाणी में नाट्य निर्देशक बनाया गया। शरतचंद की जीवनी परआधारित आवारा मसीहा उनकी प्रसिद्ध रचना हैउनको साहित्य सेवा के लिए पद्म भूषण, अर्द्धनारीश्वर के लिए साहित्य अकादमी सम्मान और मूर्तिदेवी सम्मान सहित देश विदेश के कई पुरस्कारों से नवाजा गया।

Comments

  1. गजब का लेख लिखा है
    बढ़िया लेखन

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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