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हिंदुस्तान का दर्द... आचार्य संजीव 'सलिल'

हिंदुस्तान का दर्द...

झूठे नेता...

लोलुप अफसर...

मुनाफाखोर व्यापारी...

कानून तोड़नेवाली जनता...

मँहगे आम चुनाव...

नैतिकता का अभाव...

मस्ती को जीवन मानते युवा...

देह उघाड़ता दूरदर्शन...

घर फोड़ते सीरिअल...

बेबस हम-आप...

परेशां --भारत माता...

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Comments

  1. संजीव जी बहुत खूब लिखा है
    हिन्दुस्तान का दर्द

    ReplyDelete
  2. आचार्य जी
    पहले गौ माता कटी
    बिसरा दी फिर मात
    भारतमाता क्‍या करे
    हुई अंधेरी रात।

    ReplyDelete
  3. हिदोस्तान का दर्द-
    इस मौजू के एक कविता-
    जो भी दिल्ली जाता है हो जाता चांडाल है पढें यहां
    http//:katha-kavita.blogspot.com

    ReplyDelete
  4. जो भी दिल्ली जाता है हो जाता चांडाल है पढें यहां

    http//:katha-kavita.blogspot.com/

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा