Skip to main content

ग़ज़ल ( महसूस )

तन्हाई में जब जब तेरी यादों से मिला हूँ
महसूस हुआ है की आपको देख रहा हूँ।
ऐसा भी नही है तुझे याद करू मैं
ऐसा भी नही है तुझे भूल गया हूँ ।
शायद यह तकब्बुर की सज़ा मुझको मिली है
उभरा था बड़ी शान से अब डूब रहा हूँ ।
ए रात मेरी समत ज़रा सोच के बढ़ना
मालूम है तुझे मैं अलीम जिया हूँ ।
तन्हाई में जब जब ................
महसूस हुआ की तुझे देख रहा हूँ ।

Comments

  1. kahan achha hai....magar gazal ke drishti se bahot saari khamiyaan hai...

    arsh

    ReplyDelete
  2. आपकी दोनों ग़ज़ल पसंद आई
    बहुत खूब लिखा है !

    ReplyDelete
  3. वा क्या बात है......बहोत खूब.....

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा