गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा
बहुत खूब सुशांत जी,होली की पूरी तैयारी कर चुके हैं आप
ReplyDeleteफूलों को देखर दिल खुस हो जाता है इतने सुन्दर फूल दिखाने के लिए सुक्रिया!
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