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ग़ज़ल

तूफ़ान मेरे सर से गुज़रता क्यों नही जाता
दरिया मेरी कश्ती में उतरता क्यो नही jaata
सदियों से भी हालात के दलदल में फसा हूँ
सूरज मेरे अन्दर का उभरता क्यों नही jaata
ताबीर खंज़र से ज़ख्मी मेरी आंखें
मई खवाब के मानिंद बिखर क्यों नही जाता
धुप मिली छाओं मिला धुप से साया
फिर रेत के सेहरा में शजर मिलने क्यों जाता।
अलीम आज़मी.....

Comments

  1. सुन्दर ग़ज़ल
    बहुत खूब दोस्त

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा