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सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ <गॉंधी-इर्विन समझौते के बाद शहीदे आजम को फॉसी दी गयी थी ,इस शहादत ने अंग्रेजी सरकार की चूले हिला दिया पूरा देश इन नौजवानो की शहादत पर रो पडा था,आज हम शायद उस शहादत का मुल्‍यांकन नही कर पा रहे है जो सारे घरो के लिए थी सारे परिवारो के लिए थी सारे प्रदेशो के लिए थी सारे देश के लिए थी सभी धर्मो के लिए थी सभी जातियो के लिए थी अगर किसी के लिए नही थी तो वह भगत सिह ,राजगुरू और सुखदेव के लिए नही थी जिन्‍होने हंसते हुये फॉसी के फन्‍दे को गले में डाल लिया इस संकल्‍प के साथ कि तेरा वैभव अमर रहे मॉ हम दिन चार रहे न रहे ,जन्‍म का विवाह केवल मृत्‍यु के साथ होता है यह सभी जानते है किन्‍तु जिन्‍होने घुट-घुट कर मरने का संकल्‍प लिया है वो शायद इन शहीदो की शहादत का मूल्‍यांकन नही कर पायेगे
आज इस देश का नौजवान सिमटता जा रहा है अपने और पराये के बीच अपने का दायरा उसने बहुत संकीर्ण कर लिया है शेष सब पराये हो गये है यह देश भी और इस देश के लोग भी ,कोन देगा शहीदे आजम को श्रद्धान्‍जली कोरे भाषणो से क्‍या इन कर्म योगियो की आत्‍मा को शान्ति मिलेगी, >

Comments

  1. लाल सलाम ! इन्कलाब जिंदाबाद !! दुनिया के मजदूरों एक हो !!!

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा