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जब उदय हुए होगे ,,हे भारत

जब उदय हुए होगे ,,हे भारत
नदिया भी गीत सुनायी होगी
शीतल मंद हवाए नाची
रजनी भी मंगल gaayeeहोगी
पुरखे भइ खुश हुए होगे
जब झरने ढोल बजाये होगे
मागतटी पिता का हस्त चेहरा
बुआ तो काजल लगाई होगी
नेग देने के खातिर बटुआ
बाबा से आजी लाई होगी
नाना नानी भेजे होगे
प्रेम भरा खुछ उपहार
मामा की कमर पाकर के चाचा
द्वार तेरे घुमाये होगे.

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा