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होली है भई होली है !

सभी मित्रों को होली की रंग - बिरंगी शुभकामनायें !

           

            रूठों को गले लगाने को,

            बिछुड़ों को पास बुलाने को,

            गुंझिया और भुजिया खाने को,

            आती घर-घर होली है !

 

आपका ही,

 

सुशान्त सिंहल

 

Sushant K. Singhal

website : www.sushantsinghal.com

Blog :   www.sushantsinghal.blogspot.com

email :  singhal.sushant@gmail.com

 

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा