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ग़ज़ल

खवाब में जो कुछ देख रहा हूँ इस का दिखाना मुश्किल है
आईने में फूल खिला है हाथ लगाना मुश्किल है।
उसके कदम से फूल खिले हैं मैंने सुना है चार तरफ़
वैसे इस वीरान सारा में फूल खिलाना मुश्किल है।
तनहाए में दिल का सहारा एक हवा का झोंका था
वो भी गया है सोने बयाबा उसका आना मुश्किल है।
शीशा गारों के घरों में सुना है एक परी कल आई थी
वैसे ख्यालो ख्वाब हैं पारिया उनका आना मुश्किल है
अलीम आज़मी

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा