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आरती आस्था जी की कविता ''लिखावट''

कलम का सिपाही कविता प्रतियोगिता के अंतर्गत आज हम आपके लिए जो कविता प्रकाशित कर रहे है उसे अपने अल्फाजों से सजाया है आरती आस्था जी ने !
कलम का सिपाही मे सहयोग के लिए हम आपके आभारी है और हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है !
इस रचना पर आप अपनी राय दें !

लिखावट

हाथो से
जो नही लिख पते हम
लिखने की कोशिस करते है
बहुत बार
आसुओ से
इस आस में
की शायद
लिख जाए कुछ ऐसा
जो न लिखा गया हो अब तक
हमारी किस्मत में............!

आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Comments

  1. आरती आस्था जी बधाई हो अच्छी रचना !

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  2. आस्था जी अच्छी नज्म बधाई हो

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  3. अच्छी कविता आस्था जी

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा