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होली खास अम्बरीष मिश्रा के साथ

दो लाइन की बात है सुन लो मेरे मीत
नही कहूँगा कविता नही कहूँगा गीत

नमस्कार आप को अम्बरीष मिश्रा का -
दोस्तों होली मुबारक हो
इस होली में आप के लिए एक फिल्म देखने के लिए राय दूंगा
बिल्लू बार्बर
सच में एक नया अहसास
मज़ा न आए तो पोस्ट डेलित कर देना
ही ही ही

hओली मुबराचाल हो
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा