केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..
गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा
अति सुन्दर क्षणिका -बधाई
ReplyDelete-विजय
आस्था जी बेहद सुन्दर
ReplyDeleteआपकी जितनी भी रचनाएँ पडी सबने मुझे प्रभावित किया !
बहुत अच्छा !
आरती जी अच्छी नज्म
ReplyDeleteमजा आ गया
आरती जी,
ReplyDeleteआपने चन्द पंक्तियों में गागर में सागर सी बात कह दी| सही कहा आपने |
वाकई इस ज़माने में किसी को केवल चेहरे से पहचान लेना बहुत मुश्किल है और जब तक इन्सान पहचान लेता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है|
काश ! ऐसी चाबी होती |
सलीम खान
संरक्षक, स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़
लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
bahut gahre bhav...........haqeeqat bayan karti rachna..........kash aisa ho pata.
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