Skip to main content

अजय मोहन भाई अड़चन ऐसे समाप्त नहीं होगी

अजय मोहन भाई अड़चन ऐसे समाप्त नहीं होगी।आप को क्या लगता है एक प्रशांत की सदस्यता समाप्त करके आप लोग हिन्दुओं को इसी तरह अपमानित करते रहेंगे तुष्टीकरण कर के खुद को महान साबित करते रहेगे ।लेकिन अब ये रंडापा और अधिक नहीं चलेगा ।एक प्रशांत जायेगा सैकणों आयेगे।मै कुयें का मेढ़क हूँ ठीक है आप अरब सागर के हैं मुझे आप बतायेंगे कि
१-फतवा कौन जारी करता है हिन्दु शंकराचार्य या मौलवी
२-किसी अन्य देश का पत्रकार कार्टून बनाता है तोड़्फोड अपने देश होता है क्यों और कौन करता है
३-अफजल गुरू अब तक फासी पर नहीं लटका क्यों?किसको खुस करने के लिये?
४-अतुले ने जो बयान दिया अगर वही भाजपा ने दिया होता तो क्या आप जैसे फंडु सेक्युलर लोगो का नजरिया यही रहता ?
५-मुझे तर्क दिया जा रहा है कि ये आतंकवादी लोग मुसलमान नहीं हैं अपने आप को सच्चा मुसलमान साबित करने के लिये फिर ये लोग कहाँ से आय?
५-पिछले दिनों मैने दो रूपये की पेपर में पढ़ा कि पाकिस्तान से कुछ हिन्दु भारत में अपनी जान बचा के सरण लियें है ?उन्हें नागरिक्ता देने पर अभी समय है पर जो लोग बागला देश से भाग कर आये हैं उन्हें चार रू मे भारत की नागरिक्ता दी जा रही है कौन दे रहा है किसे खुस करने के लिये दिया जारहा है?
६-कई पाकिस्तानी नागरिक भारत में आ के लापता हो गये वो कहाँ है?वो क्या कर रहें हैं?हम छोटे गाँव के है आप को तो पता ही होगा वो कहा हैं अगली पोस्ट में बताने कि कृपा करें

Comments

  1. एकम् ब्रह्मा अस्ति, द्वितयो नास्ति, नास्ति नास्ति नास्ति, किंचित मात्र नास्ति!

    यानि

    ला इलाहा इल्ललल्ला

    यानि

    God is One.

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा