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कलम का सिपाही बनिए और जीतिए 1000 रुपए, 2 दिन शेष

कलम का सिपाही प्रतियोगिता मे भाग लेने के लिए अब 2 दिन शेष है ,जल्दी कीजिये और लिख भेजिए अपनी कविता ''कलम का सिपाही''प्रतियोगिता के लिए !!दोस्तों हमारा मकसद है हिंदी को उसका जायज मुकाम दिलाना जिसमे आपका सहयोग जरुरी है !!तो देर मत कीजिये,इंतज़ार मत कीजिये !! आज ही भेज दीजिये अपनी कविता,हम किसी एक विजेता को १००० रुपए और प्रमाण पत्र से सम्मानित करेंगे!!प्रतियोगिता की शर्तों और अधिक जानकारी के लिए देखें!!
प्रतियोगिता कलम का सिपाही आगे पढ़ें के आगे यहाँ

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--- संजय सेन सागर

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हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा