Skip to main content

धूमिल होती सेना की छवि

तस्वीर में सीन ब्लैकवेल और अह्दा साथ साथ

भारतीय सेना की छवि से सारी दुनिया वाकिफ है। चाहे बात सन १९६५ की जंग की हो १९७२ की जंग की। हमारे जवानों ने हमेशा जांबाजी का परिचय दिया है, लेकिन कुछ जवान ऐसे भी है जो सेना की छवि ख़राब कर कर हैं। इन में न सिर्फ़ छोटे सिपाही हैं बल्कि कुछ बड़े अफसर भी शामिल हैं। फौजियों द्वारा अक्सर चलती ट्रेन से यात्रियों को फेंके जाने की घटनाएँ पढ़ने और सुनने को मिल जाती हैं। यह घटनाएँ इतनी बढ़ी कि रेलवे ने फौजियों के लिए अलग बोगी लगाने पर भी विचार किया। इसी तरह कभी सेना के उच्च अधिकारी आतंकवादी धमाकों में लिप्त पाये गये। मैं नहीं जनता कि यह बात कितनी सही या कितनी जूठ है लेकिन ऐसे आरोप लगने से सेना की छवि तो ख़राब हुई ना। इसी तरह आज कल सेना के ही एक उच्च अधिकारी से जुड़ी ख़बर से सेना की छवि को फिर धक्का लगा है। वह है एक मेजर द्वारा अफगानिस्तान की लड़की साबरा से शादी करना। साबरा द्वारा लगाये गए आरोपों के मुताबिक मेजर ने अफगानिस्तान में उम्मत खान बनकर साबरा से शादी की।

साबरा के अनुसार सबसे पहले मेजर ने साबरा के घर वालों के सामने शादी का प्रस्ताव रखा. यहाँ तक कि अपना धर्मं बदलने की बात भी कही और फिर उम्मत खान बनकर उससे शादी की. फिर कुछ वक्त तक उसके साथ रहने के बाद किसी हिन्दी फ़िल्म के हीरो की तरह ६ महीने बाद वापस आने का वादा करके अफगानिस्तान से लौट आया। उसके बाद यहाँ आकर साबरा को फ़ोन किया और कहा कि यहाँ मेरे बीवी बच्चे हैं, तुम तो दूसरी शादी भी कर सकती हो, तो तुम दूसरी शादी कर लो। पहले साबरा को लगा कि वह मजाक कर रहा है, लेकिन उसके बार बार यकीन दिलाने पर उसे यकीन आ गया और उसके बाद शुरू हुई साबरा के संघर्षों की कहानी जो अब तक चल रही और न जाने कितनी लम्बी चलेगी. अब मेजर न तो साबरा को अपने साथ रखने को तैयार है और न ही अफगानिस्तान जाकर साबरा को तलाक देने को. मेजर ने एक इन्सान के तौर पर इंसानियत का क़त्ल कर दिया. एक हिन्दुस्तानी के तौर पर हिंदुस्तान को बदनाम किया और सेना के अफसर के रूप में सेना की छवि को धूमिल किया है।

एक तरफ़ मेजर और साबरा कि कहानी में जिस में मेजर ने साबरा से शादी करके उसे छोड़ दिया और इसके उलट दूसरी तरफ़ इराकी लड़की अहदा और अमेरिकी फौजी सीन ब्लैकवेल की कहानी है जिसमे इराक मोर्चे पर गए ब्लैकवेल ने इराकी लड़की अह्दा से शादी की और अब उनकी एक बेटी " नोरा" भी है। इसके साथ ही उनके रिश्ते को अब कानूनी मान्यता भी मिल चुकी है. (यह ख़बर एक हिन्दी मगज़ीन "अहा ज़िन्दगी" के हवाले से है )

Comments

  1. निश्चित रूप से इस प्रकार के तत्वों से न केवल सेना की छवि पर दाग लग रहा है बल्कि समाज में भी एक घोर निराशा का मार्ग जन्म ले रहा है !! इस तरह की घटनाओं को हम तब ही रोक सकते है जब हम ख़ुद जागरूक हो!!आपके बहुत खूब बात हम तक पहुंचाई !!

    ReplyDelete
  2. shamikh faraz ji मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ की आप ब्लॉग की सेटिंग में परिवर्तन न करे चूकी पाठकों को यह समझने में समस्या जाती है की आज की पोस्ट कौन सी है और कल की कौन सी !!
    मुझे आशा है आप समझेंगे और पुनः सेटिंग को उसी रूप में कर देंगे !! सुक्रिया दोस्त!!!

    ReplyDelete
  3. हर जगह ऐसा होता है1 बढ़िया लिखा आपने1 बधाई

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा