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क्यों कि जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।

माँ तेरे कदमों में शीस नवाने को जी चाहता है,
तुष्टीकरण की राज्नीति करने वालों की नीद हराम करने को जी चाहता है।
तुझ पे ये जुल्म देख के रातों को सो नहीं पात हूँ माँ,
अंतुले ,कसाब और आतंकवादियों(मुस्लिमों)के सीने पर पैर रख के हुमचाना चाहता हू।
माँ तुझ पे जुल्म करने वालों के बारे में १२३६५४७८९९८५४ सबूत दे रहे हैं तेरे बेटे,
अपनी माँ पे ये जुल्म कैसे बर्दास्त कर पा रहें है वो।
मा मरने से पहले पाकिस्तान जाना चाहता हूँ,
मुसर्फ व जरदारी को खत्म करना चाहता हूँ।
माँ मुझे इतनी सक्ति दो कि पहले बेटे के नाम पे कलंको को जुतिया सकू,
तटस्थ बनने वालों की गाड़ मै मार सकू।
मत खुस हो तटस्थ होकर;
क्यों कि जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।

Comments

  1. बहुत खूबसूरत और प्यारी रचना है
    इसी तरह लिखते रहिये !

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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