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देख उस माँ की हालत............

आज का मौसम
और सर्द हवा के झोके
लिपटी मै गर्म कपड़ो मे
क्या जानू ,की सर्दी है क्या ..
ऊपर से बारिश का ये नज़ारा जो
कमरे से देखी मैंने
तो मेरे मन को वोह
नज़ारा भा गया
पर
तभी किसी मासूम के
रोने से मेरी नींद मै खलल
आ गया ..
देखा जो बाहर जाके
तो आँखे हुई मेरी नम
सामने की झोपडी से एक
माँ के रोने की पुकार सुनी
देखा तो जाना की
क्या है सर्दी का मौसम
मासूम ठण्ड से कांप रहा था
और मजबूर माँ के अंचल को खिंच
रहा था ....
नारी तो है इस दुनिया की रौनक
पर
उसका बदन तो कपडे के हर .....
कौणे से झांक रहा था
वोह क्या जाने माँ का आंचल है
तार तार..
देख उस माँ की हालत
आँखे हुई नम मेरी
उतार अपना दुशाला
तन ढका उस माँ का
जो ठण्ड से कांप रही ....
मुह से तो कुछ ना बोली .......
पर उसकी आँखे मुझे बहुत कुछ कहें गयी ...............
आज का मौसम ..................
और ये सर्द हवा का झोंका ..................
(.....कृति.....अनु....).

Comments

  1. बहुत खूबसूरत अनुराधा जी !! आपकी रचना बेहद अच्छी है !!

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  2. बहुत ही खूबसूरत कविता है !

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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