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यसवंत जी माफ़ करे

किस नपुंसक की याद दिला दी आपने यसवंत जी...मुंबई में जो आतंकवादी आये वो कायर थे ..और हमारे मुंबई का वो गुंडा नपुसक है जी हाँ राज ठाकरे !!! और देश को कायर या नपुंसक न तो मिटा सकते है न ही बचा सकते है इशलिये !! अपने पवित्र मन् में इनकी बात लाना भी गोबर खाना है !!!हमारे देश के वीर सिपाही सीने पर गोली खाते है हिंदुस्तानिओं की रक्षा के लिए और साला ये राज उन में भी उत्तर भारतीय और अन्य लोगों में अंतर और नफ़रत पैदा करता है !! इसकी में अगर इतनी दम होती तो अपनी लुगाई के पल्ले में मुह छिपाकर न बैठा होता वो और उसकी कायर सेना लोगो की रक्षा में सामने आ सकती थी ..पर हम लोगों को ही इन गांडू की रक्षा करनी पड़ेगी !!! अगर अब ये साले जयादा मुंबई में उचल कूंद करते नजर आये तो सालो को नंगा करके मारना चाहिए !! माफ़ कीजिये यसवंत जी गुस्से में कुछ जायदा गलत शब्द बोल गया par इन सालों के लिए तो वो भी कम है ...सहीदों को श्रधांजलि ...और इन आतंकवादियों को भगवन अकल बख्शे!!

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केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा